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Sunday, 16 September 2018

*सभी प्रतियोगिताओं परीक्षा के लिए कम्प्यूटर विज्ञान विषय के अतिमहत्वपूर्ण पचास प्रश्न


प्रश्न-1)वह हार्डवेयर डिवाइस कौनसी है जिसे आमतौर पर कम्प्यूटर का ब्रेन कहते है?
उत्तर-सीपीयू!
प्रश्न-2)कम्प्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है?
उत्तर-सीपीयू!
प्रश्न-3)1024 बाइट बराबर है?
उत्तर-1 KB!
प्रश्न-4)किसी प्रोग्राम में बग क्या होता है?
उत्तर-एरर!
प्रश्न-5)पी.सी. का अर्थ है?
उत्तर-व्यक्तिगत कम्प्यूटर!
प्रश्न-6)निम्नलिखित में से कौनसा कम्प्यूटरों को टेलीफोन लाइनों का प्रयोग करके डाटा अंतरित करने की अनुमति देता है?
उत्तर-मोडम!
प्रश्न-7)कोई कम्प्यूटर प्रोग्रामर क्या करता है?
उत्तर-वह कम्प्यूटर के लिए सभी प्रकार का चिंतन करता है!
प्रश्न-8)एक बाइट में होते है?
उत्तर-8 बिट!
प्रश्न-9)पहला सक्रियता इलेक्ट्रॉनिक अंकीय कम्प्यूटर है?
उत्तर-ENIAC!
प्रश्न-10)सी.पी.यू.का क्या अर्थ है?
उत्तर-सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट!
प्रश्न-11)C.D.-R.O.M. का पूर्ण रूप है?
उत्तर-कम्पेक्ट डिस्क रीड ओनली मेमोरी!
प्रश्न-12)निम्नलिखित उत्पादों में से कौनसा उत्पाद पेन्टियम ब्रांड नाम से बेचा जाता है?
उत्तर-माइक्रोप्रोसेसर!
प्रश्न-13)World Wide Web के आविष्कार कौन माने जाते है?
उत्तर-टिन बर्नर्स ली!
प्रश्न-14)याहू तथा गूगल तथा MSN है?
उत्तर-इन्टरनेट साइट्स!
प्रश्न-15)कम्प्यूटर शब्दकोष में CD अक्षरों का प्रयोग किसके लिये किया जाता है?
उत्तर-काॅम्पेक्ट डिस्क!
प्रश्न-16)निम्नलिखित में कौन एक कम्प्यूटर की भाषा नहीं है?
उत्तर-FAST!
प्रश्न-17)निम्नलिखित में कौनसी सूचना प्रौद्योगिकी शब्दावली नहीं है?
उत्तर-प्रकाश भण्डारण!
प्रश्न-18)पहले इलेक्ट्रॉनिक अंकीय कम्प्यूटर में क्या था?
उत्तर-वाल्व!
प्रश्न-19)अनुपम क्या है?
उत्तर-एक सुपर कम्प्यूटर!
प्रश्न-20)भारत में विकसित परम सुपर कम्प्यूटर का विकास किस संस्था ने किया है?
उत्तर-CDAC!
प्रश्न-21)कम्प्यूटर डाटा की सबसे छोटी इकाई है?
उत्तर-बाइट!
प्रश्न-22)माइकल एंजेलो वायरस है?
उत्तर-एक कम्प्यूटर वायरस!
प्रश्न-23)सभी कम्प्यूटरों में लागू होती है?
उत्तर-मशीनी भाषा!
प्रश्न-24)APPLE क्या है?
उत्तर-चौथी पीढ़ी का एक कम्प्यूटर!
प्रश्न-25)कौनसी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित सुपर कम्प्यूटर परियोजना है?
उत्तर-अनुपम!
प्रश्न-26)एक कम्प्यूटर की स्मृति सामान्य तौर से मेगाबाइट के रूप के रूप में व्यक्त की जाती है एक बाइट बना होता है?
उत्तर-आठ द्विआधारी अंकों का!
प्रश्न-27)डाटा के प्रेषण की गति को मापने के लिए सामान्यतः प्रयुक्त एकक है?
उत्तर-बिट प्रति सेकंड!
प्रश्न-28)कम्पाइलर क्या है?
उत्तर-एक ऐसा प्रोग्राम जो उच्च स्तरीय भाषा को मशीन भाषा में अंतरित करता है!
प्रश्न-29)असेम्बलर का कार्य है?
उत्तर-असेम्बली भाषा की यंत्र भाषा में परिवर्तित करना!
प्रश्न-30)स्पैम किस विषय से सम्बन्धित है?
उत्तर-कम्प्यूटर!
प्रश्न-31)ALU का पूरा रूप है?
उत्तर-Arithmetic Logic Unit!
प्रश्न-32)इन्स्ट्रक्शन्स के उस समूह को क्या है जो कम्प्यूटर को बताता है कि क्या करना है?
उत्तर-प्रोग्राम!
प्रश्न-33)निम्नलिखित में से कौन भारत की सबसे बड़ी साॅफ्टवेयर कम्पनी है?
उत्तर-टी.सी.एस!
प्रश्न-34)L.C.D. का पूरा नाम क्या होता है?
उत्तर-Liquid Crystal Display!
प्रश्न-35)जब कोई कम्प्यूटर कोई क्रमादेश लागू करता है तो वह क्रमादेश कहाँ पर अटक जाता है?
उत्तर-रोम!
प्रश्न-36)कम्प्यूटर की स्थायी स्मृति को क्या कहते है?
उत्तर-ROM!
प्रश्न-37)निम्न में से कौन निर्गम उपकरण नहीं है?
उत्तर-प्रकाशित लक्षण अभिज्ञाता!
प्रश्न-38)कम्प्यूटर वायरस है?
उत्तर-ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम जो स्वयं की प्रतिलिपियाँ बना सके!
प्रश्न-39)दस लाख बाइट्रस लगभग होती है?
उत्तर-मेगाबाइट्स!
प्रश्न-40)पहली कम्प्यूटर भाषा कौनसी विकसित की गई थी?
उत्तर-फोरट्राॅन!
प्रश्न-41)कम्प्यूटर में प्रयुक्त आई.सी.चिप बनी होती है?
उत्तर-सिलिकाॅन की!
प्रश्न-42)निम्न में से कौनसा CRT का हिस्सा नही है?
उत्तर-गैस प्लाज्मा!
प्रश्न-43)लेजर प्रिन्टर में निम्नलिखित में से कौनसा एक लेजर प्रकार प्रयुक्त होता है?
उत्तर-अध्द॔चालाक लेजर!
प्रश्न-44)पहला कम्प्यूटर किसने बनाया था?
उत्तर-चार्ल्स बैबेज!
प्रश्न-45)आधुनिक कम्प्यूटरों का लघु रूपकरण संभव हो सकता है निम्न के प्रयोग से होता है?
उत्तर-समाकलित परिपथ चिप!
प्रश्न-46)कम्प्यूटर ऐप्लीकेशन्स को बनाने के लिए प्रयुक्त D.B.M.S. किसको कहते है?
उत्तर-डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम!
प्रश्न-47)निम्न में से कौन कम्प्यूटर ऑकड़ो की त्रुटिया प्रदर्शित करता है?
उत्तर-बग!
प्रश्न-48)E.N.I.A.C.क्या है?
उत्तर-एक इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर!
प्रश्न-49)निम्न में से कौनसी एक यंत्र सामग्री नहीं है?
उत्तर-प्रचालन तंत्र!
प्रश्न-50)एम.एस वर्ड.प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-पघांश डाटा संशोधन हेतु!


Wednesday, 12 September 2018

इंटरनेट व उसके प्रयोग

परिचय (Introduction)

इंटरनेट से तात्पर्य एक ऐसे नेटवर्क से है जो दुनिया भर के लाखों करोड़ों कम्प्यूटरों से जुड़ा है। कहने का मतलब यह है कि किसी नेटवर्क का कोई सिस्टम किसी अन्य नेटवर्क के सिस्टम से जुड़ कर कम्यूनिकेट कर सकता है। अर्थात सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए जिस नियम का प्रयोग किया जाता है उसे ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) कहा जाता है।

इंटरनेट की सेवाएं

इसकी सेवाओं में कुछ का जिक्र यहां किया जा रहा है-

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ टी पी)- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का उपयोग एक कम्प्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कम्प्यूटर नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक मेल ई-मेल- इसको संक्षिप्त रूप से ई-मेल कहा जाता है। इस माध्यम के द्वारा बड़ी से बड़ी सूचनाओं व संदेशों को इलेक्ट्रॅनिक प्रणाली द्वारा प्रकश की गति से भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा पत्र, ग्रीटिंग या सिस्टम प्रोग्राम को दुनिया के किसी भी हिस्से में भेज सकते हं।

गो-फोर- यह एक यूजर फ्रैंडली इंटरफेज है। जिसके जरिए यूजर, इंटरनेट पर प्रोग्राम व सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। गोफर के द्वारा इंटरनेट की कई सेवाएं आपस में जुड़ी होती है।

वल्र्ड वाइड वेब (www)- इसके द्वारा यूजर अपने या अपनी संस्था आदि से सम्बंधित सूचनाएं दुनिया में कभी भी भेज सकता है, और अन्य यूजर उससे सम्बंधित जानकारियां भी प्राप्त कर सकता है।

टेलनेट- डाटा के हस्तांतरण के लिए टेलनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा यूजर को रिमोट कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। इसके बाद यूजर अपने डाटा का हस्तांतरण कर सकता है। टेलनेट पर कार्य करने के लिए यूजर नेम व पास वर्ड की जरूरत होती है।

यूजनेट- अनेक प्रकार की सूचनाओं को एकत्र करने के लिए इंटरनेट के नेटवर्क, यूजनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से कोई भी यूजर विभिन्न समूहों से अपने लिए जरूरी सूचनाएं एकत्र कर सकता है।

वेरोनिका- वेरोनिका प्रोटोकॉल गोफर के माध्यम से काम करता है। यूजर, गोफर व वेरोनिका का प्रयोग एक साथ करके किसी भी डाटा बेस पर आसानी से पहुंच सकता है। इनके प्रयोग से जरूरी सूचनाएं तेजी से प्राप्त की जा सकती हैं।

आर्ची- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफटीपी) में स्टोर फाइलों को खोजने के लिए आर्ची का प्रयोग किया जाता है।

Saturday, 1 September 2018

महत्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाएं


परिचय (Introduction)
कम्प्यूटर एक मशीन है और वह हमारी बोलचाल की भाषा को समझ नहीं सकता। इसके लिए प्रोग्राम, विशेष प्रकार की भाषा में लिखे जाते हैं। इन भाषाओं को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के नाम से जानते हैं। आजकल ऐसी सैकड़ों भाषाएं प्रचलन में हैं। ये भाषाएं कम्प्यूटर और प्रोग्रामर के बीच संपर्क या फिर संवाद स्थापित करने का काम करती हैं। कम्प्यूटर उन्हीं के माध्यम से दिए गए निर्देशों को समझकर काम करता है। कम्प्यूटर द्वारा किए जाने वाले अलग अलग कार्यों के लिए अलग-अलग तरह की लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस प्रकार हैं-

लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Languages)
वे लैंग्वेज जो कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली को ध्यान में रखकर बनाई गई हंै लो लेवल लैंग्वेज कहलाती हैं। इसमें प्रोग्राम लिखने वाले व्यक्ति को कम्प्यूटर की आंतरिक क्रिया प्रणाली की जानकारी होना आवश्यक है। इसको निम्न स्तरीय लैंग्वेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोग्राम लिखना पूरी तरह से उस कम्प्यूटर पर निर्भर करता है जिस पर यह लिखा जा रहा है। इस लैंग्वेज को पुन: दो अन्य भाषाओं में बांटा जा सकता है।

1. मशीन लैंग्वेज (Machine Languages) -
कम्यूटर एक मशीन है जो केवल विद्युत संकेतों को ही समझ सकती है। इन विद्युत संकेतों को ऑफ या 0(शून्य) व ऑन या 1(एक) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इन अंको के बायनरी अंक कहते हैं। कम्प्यूटर केवल इन बाइनरी अंकों में दिए गए निर्देशों को समझ सकता है। इन बाइनरी अंको से बनी लैंग्वेज को हम मशीन लैंग्वेज कहते हैं। जैसे- 0100100011100110011.......

2. असेंबली लैंग्वेज (Assembly Languages) -
अंसेबली लैंग्वेज वे भाषाएं होती हैं जो पूरी तरह से मशीन लैंग्वेज पर आधारित होती हैं। लेकिन इनमें 0 व 1 की सीरीज के स्थान पर अंग्रेजी के कुछ अक्षरों व कुछ चुने हुए शब्दों का कोड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन कोडों को नेमोनिक कोड या शाब्दिक कोड के नाम से जाना जाता है।
3. हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Languages) -
जैसा कि लो-लेवल लैंग्वेज के लिए बताया गया कि प्रोग्राम लिखने के लिए कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली का ज्ञान होना जरूरी है। दूसरा प्रत्येक कम्प्यूटर की अपनी अलग मशीनी भाषा और असेम्बली भाषा होती है। अत: एक तरह के कम्प्यूटर के लिए इन भाषाओं में लिखा गया प्रोग्राम दूसरी तरह के कम्प्यूटरों के लिए बेकार हो जाता है। अत: ऐसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास किया गया जो सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली पर आधारित न हो और जिनमें लिखे गए प्रोग्रामोंको किसी भी प्रकार के सिस्टम पर चलाना संभव हो। इन भाषाओं को हाई लेवल भाषा कहा जाता है। हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषा में इंग्लिश के चुने हुए शब्दों व साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन भाषाओं में प्रोग्राम लिखना उनमे गलतियों का पता लगाना और उनको सुधारना लो लेवल भाषा की तुलना में आसान होता है। सभी प्रोग्राम हाई लेवल भाषा मे ही लिखे जाते हैं।

हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषाओं को भी उनकी प्रकृति के अनुसार दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

1. विधि अभिमुखी भाषाएं (Procedure Oriented Languages)
2. समस्या अभिमुखी भाषाएं (Problem Oriented Languages)
प्रमुख हाई लेवल लैंग्वेज:
1. बेसिक
2. फोरट्रॉन
3. लोगो
4. कोबोल
5. पास्कल
6. सी
7. सी++
8. अल्गोल
9. कोमाल
10. पायलट
11.स्नोबॉल
12. प्रोलॉग
13. फोर्थ जेनरेशन लैग्वेज (4जीएल)

कम्प्यूटर वायरस

कम्प्यूटर वायरस

परिचय (Introduction)
कम्प्यूटर वायरस अपने आप कम्प्यूटर में आ जाने वाला प्रोग्राम कोड होता है, जो बाहरी स्रोत द्वारा तैयार किया जाता है। दुनिया का पहला कम्प्यूटर वायरस Elk Cloner था, जो 'इन द वाइल्ड' ने प्रकट किया था। यह कम्प्यूटर वायरस एप्पल डॉस 3.3 ऑपरेटिंग सिस्टम में फ्लॉपी डिस्क के जरिए फैलता है। कम्प्यूटर वायरस हमारे कम्प्यूटर में तबाही लाने वाला प्रोग्राम होता है, जो आपकी फाइलों और ऑपरेटिंग सिस्टम में उपस्थित सूचनाओं को बिना आपकी जानकारी अथवा चेतावनी के नुकसान पहुंचाता है। कम्प्यूटर वायरस के फैलने का सबसे आसान जरिया नेटवर्क, इंटरनेट और ई-मेल का बढ़ता हुआ उपयोग है। आमतौर पर कम्प्यूटर वायरस आपके कम्प्यूटर में निम्न प्रकार से आ सकता है-

 
1. संक्रमित प्रोग्राम के उपयोग से
2. संक्रमित फाइल के उपयोग से
3. संक्रमित फ्लापी डिस्क के साथ डिस्क ड्राइव में कम्प्यूटर बूट करने से
4. पाइरेटेड सॉफ्टवेयर के उपयोग से

 
कम्प्यूटर वायरस अपने आप जेनरेट नहीं होते, बल्कि ये वायरस लोगों द्वारा पूरी सूझ-बूझ से तैयार किए गए प्रोग्राम होते हैं। कुछ लोग इसे अपने कम्प्यूटर की सुरक्षा के लिए प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग इसे विध्वंस मचाने के लिए तैयार करते हैं। कम्प्यूटर वायरस के प्रकार
वायरस कई प्रकार के होते हैं, परन्तु अधिकांश वायरस को मुख्यत: तीन भागों में बांटा गया है-

1. बूट सेक्टर
2. फाइल वायरस
3. मैक्रो वायरस

Friday, 31 August 2018

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस

परिचय (Introduction)
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस परस्पर संबंधित डेस्कटॉप अनुप्रयोगों और सेवाओं का समूह है, जिसे सामूहिक रूप से ऑफिस सूट कहा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सर्वप्रथम सन् 1989 में माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा मैक- OS के लिए शुरू किया गया। उसके पश्चात सन् 1990 में विंडोज के लिए प्रथम संस्करण लाया गया। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3.0 ऑफिस सूट का विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रथम संस्करण था। उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 4.3, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 95, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2000, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस ङ्गक्क तथा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3003, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2010 हैं। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अंतर्गत मुख्यत: चार प्रोग्राम आते हैं-

1. माइक्रोसॉफ्ट वर्ड
2. माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल
3. माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस
4. माइक्रोसॉफ्ट पॉवर प्वाइंट

 
एमएस ऑफिस के ये प्रोग्राम अलग-अलग प्रकार के कार्यों को करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं, लेकिन इन सभी की कार्यप्रणाली लगभग एक जैसी है। जिसमें किसी एक प्रोग्राम पर कार्य करना सीखने के बाद अन्य प्रोग्रामों को सीखना सरल हो जाता है। यही नही एमएस ऑफिस के एक प्रोग्राम से दूसरे प्रोग्राम में कोई चित्र, सामग्री या सूचनाएं लाना ले जाना अत्यन्त सरल है इसलिए इनसे हर प्रकार के मिश्रित कार्य का भी कम्प्यूटरीकरण किया जा सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड (Microsoft Word)--
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित वर्ड प्रोसेसर है। इसका मुख्य कार्य दस्तावेज को संचालित करना है। यह एक वर्ड प्रोसेसिंग पैकेज है, जिसकी सहायता से साधारण दैनिक पत्र व्यवहार से लेकर डेस्कटॉप पब्लिशिंग स्तर के कार्य सुविधापूर्वक किए जा सकते हैं। इसमें परम्परागत मेन्युओं के साथ ही टूल बार की सुविधा भी उपलब्ध है। जैसे- कॉपी करना, कट करना, जोडऩा, खोजना एवं बदलना, फॉन्ट, स्पेलिंग एंड ग्रामर की जॉच करना, बुलेट्स तथा नंबरिंग आदि। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2007 तथा 2010 में दस्तावेजों को विभिन्न भाषाओं में अनुवादित करने की सुविधा भी उपलब्ध है।

सूचना-प्रौद्योगिकी

सूचना-प्रौद्योगिकी

परिचय (Introduction)
कम्प्यूटर का विकास कई दशकों पहले ही हो चुका है, परन्तु आधुनिक युग में कम्प्यूटर की क्षमता, गति, आकार एवं अन्य कई विशेषताओं में आश्चर्यजनक बदलाव हो रहे हैं। इन सभी सूचनाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के आविष्कार ने कई असम्भव बातों को सम्भव बना दिया है। हम घर बैठे दूर स्थित अपने किसी मित्र व संबंधी के साथ चैंटिंग करना, रेलवे-वायुयान टिकट आरक्षित करा सकते हैं। कम्प्यूटर के विकास के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी भी विकास के पथ पर अग्रसर है। सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग डाटा संचार के रूप में, व्यपार, घर, बैंकों इत्यादि स्थानों पर मुख्य रूप से किया जाता है। दूसरे शब्दों में ज्ञान की नई शाखा को सूचना प्रौद्योगिकी कहते हैं।


सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक(Fundamental Ingredient of IT)
संचार प्रक्रिया, कम्प्यूटर नेटवर्क, ई-मेल आदि सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

संचार-प्रक्रिया (Communication Process)

दो विभिन्न या समान डिवाइसों के मध्य डाटा तथा सूचनाओं के आदान प्रदान को डाटा संचार एवं इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को संचार-प्रक्रिया कहते हैं। संचार-प्रक्रिया निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा सम्पन्न होती है-
1. संदेश
2. प्राप्तकर्ता
3. प्रेषक
4. माध्यम
5. प्रोटोकॉल

कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network)
सूचनाओं या अन्य संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान एवं साझेदारी के लिए दो या दो अधिक कम्प्यूटरों का परस्पर जुड़ाव कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क के अंतर्गत संसाधनों एवं सूचनाएं एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक समान रूप से पहुंचती है। कम्प्यूटर नेटवर्क एक कंपनी अथवा भवनों, एक कमरे तथा शहर के मध्य स्थापित किए जाते हैं।


नेटवर्क के प्रकार(Types of Network)
नेटवर्क विभिन्न प्रकार के होते हैं परन्तु मुख्यत: नेटवर्क तीन प्रकार के होते हैं-
1. लोकल एरिया नेटवर्क- लैन (Local Area Network- LAN)
वह नेटवर्क जो केवल एक भवन, कार्यालय अथवा एक कमरे तक सीमित होते हैं, लोकल एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। इस नेटवर्क के अंतर्गत कई कम्प्यूटर आपस में संयोजित रहते हैं। परन्तु इनका भौगोलिक क्षेत्र एक या दो किमी. से अधिक नहीं होता है। रिंग, स्टार या कम्प्लीटली कनेक्टेड नेटवर्क आदि लैन के उदाहरण हैं।

2. मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क- मैन (Metropolitan Area Network- MAN)
एक या एक से अधिक लोकल एरिया नेटवर्कों को एक साथ जोड़कर बनाए गए नेटवर्क को मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहते हैं। यह नेटवर्क वृहद स्तरीय नेटवर्क है, जो कई कार्पोरेटों से मिलकर बना होता है। मैन की गति अत्यधिक तीव्र होती है, परन्तु लैन की अपेक्षा धीमी होती है।

3. वाइड एरिया नेटवर्क- वैन (Wide Area Network- WAN)
वह नेटवर्क जो मंडलीय, राष्टरीय, अंतरराष्टरीय एवं प्रादेशिक स्तर पर जोड़े जाते हैं, वाइड एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। वैन में उपग्रह द्वारा कम्प्यूटर टर्मिनलों को आपस में जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए- मुबंई में रहकर दिल्ली से कोलकाता का आरक्षण करना या कनाडा से सिंगापुर की फ्लाइट का आरक्षण केवल वैन द्वारा ही संभव है। वैन की गति, लैन तथा मैन की अपेक्षा धीमी होती है।

ई-मेल (E-mail)
ई-मेल सूचना प्रौद्योगिकी की एक अद्भुत देन है, जिसके द्वारा दूरभाष तथा टेलीग्राम, फैक्स तथा पोस्टकार्ड इत्यादि पारंपरिक संचार सेवाओं को आसानी से केवल कुछ ही सेकेंडों में प्रेषित किया जा सकता है। ई-मेल की शुरुआत सबसे पहले हॉटमेल नामक कंपनी ने की। जिसने www.hotmail.com के जरिए सेवायें प्रारम्भ की। आज हॉटमेल विश्व की सबसे बड़ी ई-मेल इंटरनेट कंपनी है।

Thursday, 30 August 2018

कंप्यूटर सामान्य ज्ञान data निरूपण

कम्प्यूटर सामान्य ज्ञान डाटा निरूपन

परिचय (Introduction)-

कम्प्यूटर, यूजर द्वारा दिए गए विभिन्न प्रकार के डाटा तथा निर्देशों को संग्रहित करता है जैसे- ध्वनि, संख्या, टैक्स, ग्राफिक्स, रेखाचित्र आदि। ये सभी डाटा तथा निर्देश अलग-अलग होते हैं। परन्तु कम्प्यूटर में इन सभी डाटा तथा निर्देशों को एक ही भाषा तथा स्वरूप में संगृहित किया जाता है। ये स्वरूप 0 तथा 1 के रूप में होते हैं। यूजर द्वारा दिए गए सभी प्रकार के डाटा तथा निर्देश डाटा प्रतिनिधित्व के 0 तथा 1 इन दो अंकों में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को 'डाटा निरूपण' कहते हैं। डाटा निरूपण दो क्रियाओं के माध्यम से किया जाता है-

1. एनालॉग क्रियायें
2. डिजिटल क्रियायें

एनालॉग क्रियायें (Analog Operations)-

वे क्रियायें, जिनमें अंकों का प्रयोग नहीं किया जाता एनालॉग क्रियायें कहलाती हैं। एनालॉग क्रियाओं का प्रयोग मुख्य रूप से विज्ञान तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों में किया जाता है। क्योंकि इन क्षेत्रों में भौतिक मात्राओं का प्रयोग अधिकाशत: किया जाता है, जैसे- स्पीडोमीटर, वोल्टमीटर, थर्मामीटर,..

डिजिटल क्रियायें (Digital Operation)-

आधुनिक कम्प्यूटर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (digital electronic circuits) द्वारा निर्मित होते हैं। इस परिपथ का मुख्य भाग ट्रांजिस्टर होता है जो दो अवस्थाओं 0-1 में कार्य करता है। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने वाली इन दो अवस्थाओं को सम्मिलित रूप से बाइनरी संख्या प्रणाली binary number system) कहते हैं। बाइनरी संख्या प्रणाली को संक्षेप में बिट (Bit) कहा जाता है।

4 बिट्स = 1 निबल
8 बिट्स = 1 बाइट


1024 बाइट्स = 1 किलोबाइट (KB)
1024 किलोबाइट = 1 मेगाबाइट (MB)
1024 मेगाबाइट = 1 गीगाबाइट (GB)
1024 गीगाबाइट = 1 टेराबाइट (TB)


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