Thursday, 25 August 2016
VLC मिडिया प्लयेर में किसी विडियो को रोटेट करने का तरीका
Sunday, 21 August 2016
स्मार्टफोन खरीदने के स्मार्ट टिप्स
पिछले कुछ सालों में बजट स्मार्टफोन सेगमेंट तेजी से बढ़ा है। अब अच्छा स्मार्टफोन खरीदने के लिए आपको बहुत पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा। स्मार्टफोन खरीदते वक्त आपको किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए, इसकी जानकारी यहां दी जा रही है।
उम्मीदें कम रखें
बजट फोन खरीदने वाले ज्यादातर यूजर्स का यही मानना है कि सस्ते स्मार्टफोन दोगुनी कीमत पर मिलने वाले हाई एंड स्मार्टफोन्स से थोड़े कम पावरफुल हैं। यह सोच ग्राहक की उम्मीदें बढ़ा देती है, नतीजतन यूजर्स अपने फोन की शिकायत करते हैं। जहां श्याओमी रेडमी नोट और यूरेका ने महंगे स्मार्टफोन्स से फीचर्स के मामले में फासला कम किया है, वहीं ज्यादातर दूसरे बजट स्मार्टफोन हाई-एंड फोन के मुकाबले में कहीं नजर नहीं आते। सस्ते फोन में स्क्रीन रिजॉल्यूशन, प्रोसेसर टाइप और स्पीड, रैम, कैमरा क्वॉलिटी, बिल्ड क्वॉलिटी और बैटरी लाइफ जैसी चीजों पर ग्राहक को समझौता करना पड़ता है।
कम फीचर्स
स्मार्टफोन की कीमत कम रखने के लिए मैन्युफैक्चर्स कुछ फीचर्स घटा देते ,हैं जो फोन खरीदते वक्त आपके ध्यान में भी नहीं आता। जैसे 4जीबी इंटरनल स्टोरेज में से आप असल में सिर्फ 2जीबी स्पेस ही इस्तेमाल कर पाते हैं। 4.7 इंच के स्क्रीन का रिजॉल्यूशन सिर्फ 800x480 पिक्सल्स होता है। कनेक्टिविटी की बात करें तो डिवाइस में वाई-फाई डायरेक्ट, एनएफसी या ब्लूटूथ नहीं होगा। इसके साथ ही कैमरे में ऑटोफोकस नहीं होने से भी आपको परेशानी हो सकती है।
हार्डवेयर पर फोकस करें
कोई भी स्मार्टफोन चुनने से पहले हार्डवयेर स्पेसिफकेशन पर गौर करना चाहिए। बजट फोन का मतलब यह नहीं है कि यह एंट्री लेवल हार्डवेयर पर ही चलेगा। प्रोसेसर (ओक्टा कोर आसानी से उपलब्ध है), रैम (जितना ज्यादा उतना बेहतर) और स्टोरेज अवेलेबिलिटी को जरूर चेक करें। इसके अलावा डिस्प्ले साइज, रिजॉल्यूशन, कनेक्टिविटी ऑप्शन, बैटरी कैपेसिटी का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी।
सॉफ्टवेयर इंटरफेस
मार्केट में एंड्रॉयड, विंडोज फोन के साथ पुरानी ब्लैकबेरी डिवाइस भी अवलेबल है। इसलिए फोन खरीदने का फैसला करने से पहले उसका ऑपरेटिंग सिस्टम को जरूर समझें। आपको एंड्रॉयड या विंडोज फोन का पुराना वर्शन नहीं खरीदना चाहिए। ऐसे फोन से भी दूर रहना बेहतर है जिसके ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करने के बारे में चीजें साफ न हो। यह बात जरूर ध्यान रखें कि अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम्स की अलग-अलग हार्डवेयर जरूरतें होती हैं। जैसे लेटेस्ट एंड्रॉयड फोन के मुकाबले विंडोज फोन (8 और इससे ऊपर) के नए वर्शन में कम प्रोसेसर स्पीड चाहिए।
आफ्टर सेल्स सपोर्ट
ज्यादातर स्मार्टफोन एक साल की वॉरंटी के साथ आते हैं। हालांकि, अगर आपके घर के आसपास कोई सर्विस सेंटर ही न हो तो वॉरंटी यूजलेस हो जाती है। कंपनी की वेबसाइट पर जाकर सर्विस सेंटर की लोकशन देखें।
मेमरी कार्ड के बनें एक्सपर्ट
मेमरी कार्ड के इस्तेमाल को लेकर कई बार उलझन की स्थिति का सामना करना पड़ जाता है। इस छोटी-सी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के मायाजाल को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं हम:
फ़्लैश मेमरी कार्ड या सॉलिड स्टेट फ्लैश मेमरी डेटा स्टॉरेज जैसे नामों से जाना जाने वाला मेमरी कार्ड डिजिटल कॉन्टेंट को इकट्ठा करके रखने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है। आज-कल इसका इस्तेमाल मोबाइल फ़ोन्स, डिजिटल कैमरा, म्यूज़िक प्लेयर और विडियो गेम जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। इसमें दर्ज़ हुई डिजिटल जानकारियां मिटाई जा सकती हैं, दोबारा डाली जा सकती हैं और उनमें जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं। कंप्यूटर, लैपटॉप से कनेक्ट हो सकने वाली पेन ड्राइव से यह मेमरी कार्ड आकार, प्रकार में अलग होता है और जिन डिवाइस में इसका इस्तेमाल होता है, उनमें इसके लिए एक स्थान निश्चित होता है। तकनीक की दुनिया में इसे Non-volatile SD Card कहा जाता है। SD का मतलब है Secure Digital और Non-volatile का मतलब है कि इसे अपनी याददाश्त के लिए किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की ज़रूरत नहीं है।
तीन तरह के कार्ड
मेमरी कार्ड तीन तरह के होते हैं। ये हैं: SD, SDHC और SDXC
SD
- इसे मेमरी कार्ड की पहली पीढ़ी माना जाता है। इस कार्ड की मोटाई आमतौर पर 2.1 मिलीमीटर होती है और इसकी अधिकतम क्षमता होती है 2 GB।
- इस तरह के मेमरी कार्ड तीन आकारों में आते हैं। पहला है मूल SD, जो सीधे अपने लिए बने खांचे में फिट हो जाता है। बाकी दो अपेक्षाकृत छोटे आकार के आते हैं, जिन्हें miniSD, microSD कहते हैं। इन्हें एक अडॉप्टर की मदद से संबंधित खांचे में लगाया जा सकता है।
- आमतौर पर SD कार्ड्स का इस्तेमाल पर्सनल कम्प्यूटर्स, विडियो कैमरा, डिजिटल कैमरा और ऐसे ही बड़े आकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में किया जाता है, जबकि miniSD, microSD को मोबाइल, टैबलट जैसे छोटे डिवाइस में इस्तेमाल किया जाता है।
SDHC
दूसरी जेनरेशन के मेमरी कार्ड 2006 में आए, जिन्हें SDHC कहा गया। SDHC कार्ड का मतलब है Secure Digital High Capacity कार्ड। आकार में तो यह SD कार्ड जैसे ही होते हैं, लेकिन इनकी क्षमता 4GB से 32GB तक होती है। इनमें भी अपेक्षाकृत छोटे आकार के कार्ड miniSD, microSD कहलाते हैं।
SDXC
मेमरी कार्ड की तीसरी जेनरेशन 2009 में आई, जिसे SDXC कहा गया। SDXC का मतलब Secure Digital extended Capacity है। इनकी क्षमता 48GB से 2TB तक होती है। (व्यावहारिक तौर पर अभी केवल 128GB की क्षमता ही आम लोगों के लिए उपलब्ध है। इसका छोटा आकार केवल microSD ही है। वैसे अब इनके UHS (Ultra High Speed bus) और SDIO (Secure Digital Input Output) प्रारूप भी आ गए हैं। UHS 1 और UHS 3 फॉर्मैट वाले मेमरी कार्ड भी आ गए हैं, जो ज्यादातर व्यावसायिक उपकरणों में यूज होते हैं।
मेमरी कार्ड की स्पीड
मेमरी कार्ड की स्पीड एक अहम फीचर है। इसे इस बात से नापा जाता है कि मेमरी कार्ड में कितनी स्पीड से एक फोटो जैसी डिजिटल जानकारी सहेजी जा सकती है या निकाली जा सकती है। कई बार आपने देखा होगा कि कैमरा, किसी फोटो को सहेजते हुए कुछ ज़्यादा ही समय ले लेता है, बिज़ी का संकेत देता रहता है या किसी विडियो को देखते हुए बार-बार रुकावट आती है। दरअसल, मेमरी कार्ड वाला हर डिवाइस एक खास स्पीड वाले कार्ड के लिए बना होता है। उससे कम स्पीड वाला मेमरी कार्ड लगा हो तो वह अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाएगा। हममें से ज़्यादातर लोग इस पर कोई खास ध्यान नहीं देते। अक्सर लोग जो डिवाइस 16GB तक की मेमरी कार्ड के लिए बना है, उसमें 8GB/16GB का कार्ड डलवा लेते हैं, लेकिन कार्ड की स्पीड पर ध्यान नहीं देते। तो अगली बार अगर आपको लगे कि आपका कैमरा फोटो लेने के बाद उसे स्टोर करने में ज्यादा समय ले रहा है या कैमकॉर्डर किसी विडियो को लेते समय ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो बेहतर होगा कि पहले यह देख लें कि मेमरी कार्ड की स्पीड, डिवाइस के हिसाब से ठीक है या नहीं। मेमरी कार्ड में Class 2 सबसे धीमी और Class 10 सबसे तेज़ स्पीड होती है। अब अगर आपके कैमरे की क्षमता Class 4 वाले मेमरी कार्ड की है तो Class 4 मेमरी कार्ड का इस्तेमाल करना ही समझदारी है। इससे ज्यादा स्पीड वाले कार्ड का इस्तेमाल कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि कैमरा ज्यादा स्पीड वाले कार्ड की क्षमता का सदुपयोग कर ही नहीं पाएगा। ध्यान देने की बात यह है कि एक ही स्टॉरेज कपैसिटी (जैसे 16GB) वाले कार्ड की स्पीड जितनी बढ़ती जाएगी, उसकी कीमत भी उतनी ही बढ़ती जाएगी।
कैसे जानें कार्ड की स्पीड
हो सकता है कि कार्ड पर एमबी/सेकंड में स्पीड लिखी हो। अगर ऐसा नहीं है, तो आप कार्ड की गति की पहचान कार्ड पर बने चिह्नों से कर सकते हैं। कार्ड पर एक अधूरे गोले में 2 लिखे होने का मतलब है क्लास 2, जिससे कम से कम 2 एमबी/सेकंड की स्पीड मिलेगी। इसी तरह 4, 6, 10 का मतलब क्लास 4, क्लास 6 और क्लास 10 है, जिनसे कम से कम 4, 6 और 10 एमबी/सेकंड की स्पीड मिलेगी। U जैसे चिह्न के भीतर 1 या 3 लिखे होने से कम से कम 10 और 30 एमबी/सेकंड की उम्मीद मिलेगी।
मेमरी कार्ड की सुरक्षा
- कई बार हम गलती से अचानक ही मेमरी कार्ड से गाने, फोटो या कोई डेटा मिटा डालते हैं। जब तक गलती का अहसास हो, तब तक बात बिगड़ चुकी होती है या फिर मेमरी कार्ड के डेटा से कोई छेड़छाड़ ना हो जाए, ऐसा भी ख्याल आता है।
- इस गड़बड़ी से बचने के लिए कई आधुनिक सॉफ्टवेयर हैं, जो किसी कोड या पासवर्ड द्वारा मेमरी कार्ड के डेटा तक अवांछित पहुंच को रोकते हैं। कुछ कमांड भी इस काम को बखूबी कर देते हैं।
- किसी तरह की अनजानी भूल से बचने का एक आसान रास्ता है। मेमरी कार्ड के किनारे सरकने वाला एक छोटा-सा टुकड़ा रहता है, जिसे Lock स्थिति की ओर खिसका दिया जाए, तो उस कार्ड में न कोई डेटा डाला जा सकेगा, ना ही कुछ निकाला जा सकेगा। Unlock करने के लिए उसे वापस सामान्य स्थिति पर रखा जा सकता है।
कुछ और बातें
- मेमरी कार्ड कभी गड़बड़ा जाए तो समस्या होती है कि उसे कैसे ठीक करें। इसके लिए SD Card Recovery Tool जैसे कई सॉफ्टवेयर हैं।
- मेमरी कार्ड से कभी कोई डेटा मिट जाए तो उसे वापस लाने के Undelete 360, Recuva जैसे ढेरों सॉफ्टवेयर हैं।
- विभिन्न प्रयोगों/ट्रिक के लिए Memory Cards Tools, Memory Card Manager का इस्तेमाल किया जा सकता है।
Thursday, 18 August 2016
गूगल के कुछ मजेदार तथ्य
इन्टरनेट पर सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला सर्च इंजन गूगल ही हे ! आपने इसके बारे में बहुत सुना होगा आपको किसी भी चीज की जरुरत हो गूगल आपकी हर जरुरत को पूरा कर देता हे ! आज की इस पोस्ट में, में आपको गूगल की कुछ मजेदार बाते बताऊंगा !
1. गूगल पहले googol (गुगोल) हुआ करती थी ! इन्वेस्टर्स ने स्पेलिंग गलत पड़ इसे गूगल पुकारा और यह नाम सबको पसंद आ गया और तब से इसे लोग गूगल नाम से पुकारने लगे !
2. गूगल का सर्च इंजन 100 मिलियन गीगाबाइट का हे ! उतना डाटा अपने पास सेव करने के लिए एक टेराबाइट की एक लाख ड्राइव की जरुरत होगी !
3. गूगल का home पेज इतना खाली इसलिए लगता हे क्योकि सर्ग़ेई ब्रिन और लेरी पेज को html का ज्ञान नहीं था ! जिस से वे इसे भव्य बना पाते ! बहुत समय तक तो इस पर सबमिट बटन भी नहीं था, रिटर्न की को हिट करके ही टेग सर्च किये जाते थे !
4. गूगल ने अपने स्ट्रीट व्यू मेप के लिए 80 लाख 46 हजार की.मी. सड़क के बराबर फोटोग्राफ लिए हे !५. दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण कम्पनी की वेबसाइट के कोड में २३ मार्कअप एरर हे ! 6. २०११ में गूगल का 96 फीसदी रेवेन्यु जो की 37.9 अरब डॉलर था ! वह सिर्फ विज्ञापन से आया था !
हार्ड कॉपी को ऐसे करें सॉफ्ट में कन्वर्ट
वैसे यह सेवा ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। अच्छी बात यह है कि ऑनलाइन यह सेवा सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं बल्कि हिंदी और दूसरी तमाम भाषाओं में भी मिलती है। इसी की बदौलत गूगल और दूसरी ऑनलाइन पुस्तक सेवाएं लाखों किताबों को डिजिटल रूप में परिवर्तित करती हैं। अगर ऐसा हो रहा है तो फिर भला आप इस सुविधा का फायदा क्यों नहीं उठाते?
गूगल ड्राइव के जरिए OCR
हालांकि स्कैनर और एमएफडी के साथ आमतौर पर आपको एक अलग ओसीआर सॉफ्टवेयर मिलता है, जिसका इस्तेमाल डॉक्युमेंट स्कैन करते समय किया जा सकता है, लेकिन ऐसे कंप्यूटर यूजर्स की संख्या बहुत कम है, जिनके पास स्कैनर या एमएफडी हों। वैसे भी कुछ सस्ते स्कैनर और एमएफडी के साथ ओसीआर सॉफ्टवेयर नहीं मिलता। ऐसे यूज़र्स इंटरनेट के जरिए उपलब्ध गूगल की ओसीआर सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो उसकी दूसरी सेवाओं की ही तरह मुफ्त है और इस्तेमाल में आसान। पहले यह सेवा गूगल डॉक्स का हिस्सा हुआ करती थी लेकिन अब डॉक्स और ड्राइव दोनों को एक ही प्लैटफॉर्म में समाहित कर दिया गया है।
गूगल के वेब ओसीआर का इस्तेमाल करने के लिए आपके पास गूगल का अकाउंट होना चाहिए। दूसरी जरूरत ऐसे दस्तावेज की है, जिसे स्कैन किया गया हो। याद रहे, गूगल ड्राइव की यह सुविधा हिंदी की फाइल को बदलती तो है, लेकिन सारा मटीरियल गड़बड़ हो जाता है। सभी शब्द उलट-पुलट हो जाते हैं जिन्हें ठीक करना पड़ता है।
गूगल ओसीआर का इस्तेमाल करने के लिए यह प्रोसेस अपनाएं :
drive.google.com पर लॉगिन करें।
अब खुलने वाले पेज पर आपकी वे सभी फाइलें दिखाई जाएंगी, जिन्हें आपने कभी गूगल ड्राइव पर अपलोड किया होगा। यदि वहां कोई फाइल नहीं दिख रही तो इसका मतलब है- आपने अब तक कोई फाइल अपलोड नहीं की है।
सबसे पहले गूगल ड्राइव वेब पेज के राइट साइड में Settings वाले आइकन को क्लिक करें और वहां दिखने वाले विकल्पों में Upload Settings पर क्लिक करें।
अब एक और मेन्यू खुलेगा, जिसमें Convert Text from uploaded PDF and Image files पर क्लिक कर उसे सलेक्ट कर लें।
अब गूगल के मुख्य लोगो (ऊपर लेफ्ट में) के पड़ोस में अपलोड बटन पर जाएं।
इसे क्लिक करने पर फाइलों को अपलोड करने के लिए एक छोटा सा मेन्यू उभरेगा, जिसमें Files पर क्लिक करें।
अब फाइल अपलोड करने वाला डायलॉग बॉक्स खुलेगा, जिसके जरिए आप अपने कंप्यूटर में मौजूद पीडीएफ या इमेज फाइल को, जो स्कैन की गई है या फिर किसी अन्य स्रोत से हासिल की गई है, अपलोड कर दें।
फाइल अपलोड होने की प्रक्रिया दिखाने वाला बॉक्स खुलेगा, जिसमें अपलोड की प्रॉसेस दिखेगी। प्रॉसेस पूरी होने पर Upload Complete का संदेश दिखाई देगा।
फाइल अपलोड होने के बाद आपकी फाइलों की सूची में दिखाई देगी।
चूंकि आपने शुरुआत में ही गूगल ड्राइव को निर्देश दे दिया था कि इस दस्तावेज को टेक्स्ट फॉर्मैट में बदलना है, सो यह दस्तावेज अब अपने बदले हुए फॉर्मैट में डाउनलोड किए जाने के लिए तैयार है।
अब हम इसी फाइल को पीडीएफ नहीं बल्कि टेक्स्ट फॉर्मैट में डाउनलोड करेंगे। इसके लिए फाइल को सिलेक्ट करें और ऊपर More मेन्यू पर क्लिक करें। यहां नीचे की ओर Download विकल्प दिखाई देगा। इसे क्लिक करें।
फाइल डाउनलोड होने से पहले Convert And Download डायलॉग बॉक्स सामने आएगा, जिसमें आप दस्तावेज को किस रूप में डाउनलोड करना चाहते हैं, उसके विकल्प दिखाए जाएंगे। आप देख सकते हैं कि यहां पर HTML, Plain Text, Microsoft Word Document आदि विकल्प हैं। इनमें से माइक्रोसॉफ्ट वर्ड या प्लेन टेक्स्ट विकल्प को चुनें और दस्तावेज को डाउनलोड कर लें।
अब अपने दस्तावेज को संबंधित टेक्स्ट एडिटर, माइक्रोसॉफ्ट वर्ड या नोटपैड आदि में खोलकर देखें। पीडीएफ या इमेज दस्तावेज का मैटर टाइप किए गए मैटर में तब्दील हो चुका है।
याद रहे, गूगल ड्राइव की यह सुविधा फिलहाल हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध नहीं है। हिंदी में यही काम कैसे हो, यह हम कुछ समय बाद बताएंगे।